रात सपने में मुझे एक मदारी दिखा जो 'मंदारिन ' बोलता था! वह जी भर कर कुफ्र तोलता था!! अपनी धमकियों से वह मेरे भीतर डर भर गया । कहीं गहराई में एक आवाज सुनी , '.. डर गया सो मर गया...' मैं डरपोक ! कायम कैसे रखूं अपने होश ? भीतर कैसे भरूं जिजीविषा और जोश? यह सब सोचता रह गया । देखते ही देखते सपने का तिलिस्म सब ढह गया। जागा तो सोचा मैंने अरे !मदारी तो सामर्थ्यवान बनने के लिए कह गया। अब तक मेरा देश कैसे जुल्मों सितम सह गया?