तुम मुझे बार-बार छेड़ते हो , क्या है ? तुम मुझे हाथ में पड़े अखबार की तरह तोड़ते मरोड़ते हो , क्या है ? तुम मुझे जीवन से अनुपयोगी समझ कर फेंकना चाहते हो , यह सब क्या है ?
पहले तुम मुझे क़दम क़दम पर जीवन के रंग दिखाना चाहते थे , और अब एकदम तटस्थ , त्रस्त और उदासीन से गए हो , यह सब क्या है ?
और अब तुम्हारे रंग ढंग कुछ बदले बदले नज़र आते हैं । तुम मुझे गीत सुनाते हो। कभी हंसाते और रुलाते हो । कभी अपनी कहानी सुनाते हो।
आखिर तुम चाहते क्या हो ?
मैं तुम्हारे इशारों पर नाचूं, गाऊं , हंसूं,रोऊं। तुम ही बता दो , क्या करूं?
मैं अब 'क्या है ? ' नहीं कहूंगी। यह तुम्हारे जीवन के प्रति तुम्हारे प्यार और लगाव को दर्शाता है। मुझे जीवन से जोड़ जाता है। मेरे जीवन को नया मोड़ दे जाता है।
सच कहूं , तो यह वह सब है , जो हर कोई अपने जीवन में चाहता है। इसकी खातिर अपने मन में कोमलता के भाव जगाता है।
अरे यार! अब कह भी दो ना ! व्यक्त कर दो मन के सब उदगार। अब कह ही दो , अपना अनकहा सच । मैं तुम्हारे मुख से कुछ अनूठा और अनोखा सुनने को हूं बेचैन ।
अब चुप क्यों हो? गूंगे क्यों बने हुए हो? अच्छा जी! अब कितने सीधे सादे , भोले बने हो ।
क्या यही प्यार हे? इसके इर्द गिर्द घूम रहा संसार है। यही जीवन की ऊष्मा और ऊर्जा का राज़ है। ऐसा कुछ कुछ एक दिन अचानक मेरे इर्द-गिर्द फैली जीवन धारा ने मुझे गुदगुदाने की ग़र्ज से कहा। प्रतिक्रियावश मैं सुख की नींद सो गया ! जीवन के इस सुहाने सपने में खो गया!! २९/११/२०२४.