ठीकरा असफलता का किसी और की तरफ़ उछाल दूं , अपना दामन झाड़ लूं ।
यह कतई ठीक नहीं , यह तो अपने को ठगना है , अपने को नष्ट करना है ।
अच्छा रहेगा, सच से ही प्यार करूं , झूठ बोलकर जीवन न बेकार करूं , फिर मैं अपना और दूसरों का जीना क्यों दुश्वार करूं ?
ठीकरा असफलता का फोडूंगा न किसी पर , उस पर मिथ्या आरोप लगा । बल्कि करूंगा निरंतर सार्थक प्रयास और करूंगा प्राप्त एक दिन इसी जीवन में सफलता का दामन खुले मन से, बगैर किसी झिझक के।
अब स्वयं को और ज्यादा न करूंगा शर्मिंदा , बनूंगा ख़ुदा का बंदा, न कि कोई अंधा दरिंदा ।
इतना तो खुद्दार हूं, संघर्ष पथ पर चलने की खातिर द्वार तुम्हारे पर खड़ा तैयार हूं ।
तुम तो साथ दोगे न ? दोस्ती का हाथ , हार्दिक शुभकामनाओं के साथ , आगे बढ़ाओगे ना !!