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Nov 2024
अचानक
मेरे साथ
धोखा हो गया,जब पता चला,
जिसे मैने अच्छा समझा,
वह पाला बदल कर
ओछा हो गया।
वह दगा बाज़ी कर
प्यार और सुकून को
चुपके चुपके चोरी चोरी ले गया।
सोचता हूँ
यह सब क्यों हुआ ?
मैंने उस पर विश्वास किया
और उसने आघात किया।
जिन्दगी में
अकस्मात
घट जाती है दुर्घटना,
भीतर रह जाती  है वेदना।
धोखेबाजी से बचना
कभी कभी होता है मुश्किल ,
यह अक्ल पर
पर्दे पड़ने पर
संभव हो पाती है,
जीते जी जिंदगी को नरक
बना जाती है।



मेरे साथ धोखा हुआ,
आज अच्छा भी , ओछा बना।
चलो,समझ बढ़ाने का , एक मौका मिला।
किस से करूं ,
इस बाबत कोई शिकवा गिला ?
धोखा मिलना, धोखा देना,
है ज़िन्दगी में न रुकने वाला सिलसिला।
२८/११/२०२४.
Written by
Joginder Singh
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