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Nov 2024
शक की परिधि में आना
नहीं है कोई अच्छी बात,
यह तो स्वयं पर
करना है आघात।

अतः जीवन में
आत्महंता व्यवहार
कभी भी न करो,
अपने मन को काबू में करो।
अपने क्रिया कलापों को
शुचिता केन्द्रित बनाओ।
अपने नैतिकता विरोधी
व्यहवार को छोड़ दो।
खुद को संदिग्ध होने से बचाओ।
शक की परिधि में आने से खुद को रोको।
एक संयमित जीवन जीने का आगाज़ करो।

तुम सब अपना जीवन
कीचड़ में पले बढ़े
पुष्पित पल्लवित हुए
कमल पुष्प सा व्यतीत करो।

आज के प्रलोभन भरपूर
जीवन में शुचिता को अपनाओ।
यह मन को शुद्ध बनाती है।
यह व्यक्ति को प्रबुद्ध कर
मन के भीतर कमल खिला कर
जीवन को
जीवन्त और आकर्षण भरपूर
बनाती है,
यह शुचिता
व्यक्ति के भीतर
सकारात्मकता के बहुरंगी पुष्पों को
खिलाती है।

मित्र प्यारे,
तुम अपने भीतर
शुचिता के कमल खिलाओ। ताकि तुम स्वत:
जीवन को साधन संपन्नता का
उपहार दे पाओ ।
जीवन में
लक्ष्य सिद्धि तक
सुगमता और सहजता से
पहुंच पाओ।

दोस्त,
तुम अपने भीतर
शुचिता के कमल खिलाओ।
अंतर्मन में परम की अनुभूति कर पाओ।
  २८/११/२०२४.
Written by
Joginder Singh
44
   dead poet
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