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Joginder Singh
Poems
Nov 27
भीतर रहे सदैव एक बच्चा
बूढ़े के भीतर
रहना चाहिए
सदैव एक बच्चा ।
जो झूठ को झाड़ कर
करता रहे
जीवन धारा को सच्चा ,
ताकि अंत
शांतिपूर्वक हो सके
और बन सके बूढ़ा
अनंत के आनंद की
अनुभूति का हिस्सा।
इसलिए आदमी के भीतर
रहना चाहिए
भीतर सदैव एक बच्चा।
Written by
Joginder Singh
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