चलो सीधी डगर न करो तुम अगर मगर। कौन सच्चा है और कौन है झूठा ? इस बाबत लड़ो न अब , ढूंढो ,खोजो अपना सच । सच बने आज एक सुरक्षा कवच। इस के निमित्त करो तुम और सभी मिलकर नियमित प्रयास।
करो न अब कोई बहाना, समय सरिता में सभी को है नहाना।
धोकर अपना मैल मन का , तन और मन भी उज्ज्वल करना है, लेकर साथ सभी का हमें अपने लक्ष्यों को वरना है। इस जगत में लगा रहता जीना और मरना है, हम सभी को अपने अपने भीतर उजास भरना है। शुचिता का संस्पर्श करना है। आज सभी को कर्मठ बनना है। समय के संग संग चलना है। २७/११/२०२४.