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Nov 2024
अभी मुमकिन नहीं
कम से कम.... मेरे लिए
खुली किताब बन पाऊं!
निर्भीक रहकर
जीवन जी जाऊं !!
समय के साथ
अपने लिए खड़ाऊं हो पाऊं!
उसके साथ अपने अतीत को याद कर पाऊं!!


अभी
मुमकिन है
खुद को जान जाऊं!
अपनी कमियों को सुधारता जाऊं !!
सतत् अपनी कमियों को कम करता जाऊं !!
जो मुमकिन है ,
वह मेरा सच है ।
जो नामुमकिन है
कम से कम.... मेरे लिए
झूठ है।
उतना ही मिथ्या
जितना रात्रि को देखा गया सपना,
जो हकीकत की दुनिया में
खत्म हो जाता है ,
ठीक वैसा ही
जैसे मैं चाहता हूं
सारे काम हों सही-सही।
हकीकत यह है कि
कुछ काम सही ढंग से हो पाते हैं,
और कुछ अधूरे ही रह जाते हैं।

मैं मुमकिन कामों को पूरा करना चाहता हूं ,
भले ही मेरे हिस्से में असफलता हाथ आए ।
बेशक विजयश्री कहीं पीछे छूट जाए !
क़दम दर क़दम नाकामी हाथ आए!!
दोस्तों को मेरी सोहबत भले न भाए !!

मेरी चाहत है,
मुमकिन ही मेरा स्वप्न बने ।
बेशक नामुमकिन
मरने के बाद राह का कांटा बने।

दोस्त,
मुमकिन ही हमारा संवाद बने  ,
नामुमकिन की काली छाया हमसे न जुड़े ।


२७/०८/२०१६.
Written by
Joginder Singh
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