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Nov 2024
जीवन
जिस धरा पर टिका है,
उस पर जिन्दगी के तीन पड़ाव
धूप छांव बने हुए
निरन्तर आते और जाते रहते हैं।
फ़र्क बस इतना है कि
ये पड़ाव कभी भी अपने को नहीं दोहराते हैं।

उमर के ये तीन पड़ाव
जरूरी नहीं कि
सब को नसीब हों।
कुछ पहले,
कुछ पहले और दूसरे,
और कुछ सौभाग्यशाली
तीनों पड़ावों से गुज़र पाते हैं।

सच है
यह जरूरी नहीं कि
ये सभी की जिन्दगी में आएं
और जीवन धारा से जुड़ पाएं ।

लंबी उमर तक
धरा पर बने रहना,
जीवन धारा के संग बहना।
किसी किसी के हिस्से में आता है,
वरना यहां क्षणभंगुर जीवन निरन्तर बदलता है।
Written by
Joginder Singh
59
 
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