मौत एक दहशत ही तो है इससे असमय जिंदगी जाती है सो , सुख के अहसास अनायास मुरझा जाते हैं, सारे सपने कुचले जाते हैं ।
मौत की दहशत चेतना में इतनी थी कि आंखों के सामने एक चिड़िया मर गई। वह मरते मरते भी मौत का अहसास चेतना के अंदर भर गई। चुपचाप मरने की वीडियो क्लिपिंग मेरे भीतर रख गई।