दुनिया में फैली क़त्ल ओ' ग़ैरत देख चेतना मेरी हुई सन्न! व्याप गया है मेरे इर्द-गिर्द सन्नाटा!
लगता है कोई अदृश्य हाथ मारेगा मेरे मुंह पर झट से सन्न करता हुआ ज़ोर से झापड़ ।
कोई और मुझे खौफ़जदा करने के लिए मेरे इर्द-गिर्द मचाएगा उत्पात।
और कोई उपद्रवी हाथ में दहशत की तलवार लिए झट से मेरा सिर कलम कर देगा। मेरे भीतर की समस्त चेतना को, संवेदना से अलग करने के निमित्त वह हत्यारा मुझे मार कर मेरी देह से नेह का नाता तोड़ जाएगा। झट से सिर और धड़ को अलग कर जाएगा ।
सच! उस समय आसपास सन्नाटा पसर जाएगा। सब के भीतर समय एक खौफनाक खंज़र बनकर दहशत का मंज़र भरता जाएगा । सच्चे और झूठे का पता किसे चल पाएगा ? एक और आदमी अपना सफ़र पूरा कर जाएगा । कुछ अर्से बाद वह यादों में ही जिंदा रह पाएगा।
कोई उसे याद करेगा, यह भी जरूरी नहीं। बिना लड़े मरना,कतई उसे मंजूर नहीं । सो खुद को लड़ने के लिए तैयार करो। १०/०५/२०२०.