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Nov 2024
शोषण के विरुद्ध
खड़े होने का साहस
कोई विरला ही
कर पाता है ,
अन्याय से जूझने का माद्दा
अपनी भीतर
जगा पाता है ।


तुम अज्ञानता वश
उसके खिलाफ़ हो जाओ ,
यह शोभता नहीं ।
ऐसे तो शोषण रुकेगा नहीं ।


शोषण न करो , न होने दो ।
अन्याय दोहन से लड़ने को ,
आक्रोश के बीजों को भीतर उगने दो ।
क्या पता कोई वटवृक्ष
तुम्हारा संबल बन जाए !
तुम्हें भरा पूरा होने का अहसास करा जाए !
दिग्भ्रम से बाहर निकाल तुम्हें नूतन दिशा दे जाए !!

२१/१०/२०२४.
Written by
Joginder Singh
40
 
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