मन से करो अपने काम ताकि उठाना न पड़े और अधिक नुक्सान। यदि तुम बेमन से काम करोगे तो बेबसी के गर्त में तुम जा पड़ोगे! पल प्रति पल खुद से तुम लड़ोगे!! जल्द ही तुम जा थकोगे। बीच रास्ते जा गिरोगे । फिर अपनी मंज़िल कैसे वरोगे? अतः दोस्त, मन को काबू में रखा करो। अपने और पराए की परख सोच समझकर किया करो। तभी सच को कहीं गहरे से जान सकोगे। अपने लिए एक सुरक्षा कवच निर्मित कर पाओगे। यदि ऐसा तुम कर लेते हो तो सचमुच!! तुम मनस्वी बनने की ओर क़दम उठा पाओगे। अपने भीतर व्याप्त संभावना का सहर्ष संस्पर्श कर पाओगे। ईर्ष्या की अगन को निज से दूर रख पाओगे। हां ,तभी तुम ! जीवन में कुंदन बन पाओगे। और देखना तुम, खुद तो प्रसन्न चित्त रहोगे , बल्कि पड़ोसियों तक को सुखी कर जाओगे। अपने इर्द-गिर्द सुख ,समृद्धि, संपन्नता के बीजों को फैला पाओगे । तुम स्वत: अपनी नई पहचान बनाओगे। २८/०८/२०१५.