सर्वस्व का वर्चस्व स्थापित करने के निमित्त हम करेंगे अपनी तमाम धन संपदा, शक्ति को संचित कर और यथाशक्ति अपना समय और अपनी सामर्थ्य भर शक्ति को देकर करते रहेंगे जन जन से सहयोग। ताकि शोषितों, वंचितों के जीवन को अपरिहार्य और अनिवार्य सुधारों से जोड़ा जा सके, उनके जीवन में बदलाव लाया जा सके। उनका जीवन स्तर सुधारा जा सके।
यदि शोषितों, वंचितों के जीवन में सुखद परिवर्तन आएगा, तभी देश आगे बढ़ेगा। किसी हद तक शोषण और दमन चक्र रुकेगा।
ऐसा होने से जन जन में सुरक्षा व सुख का अहसास जगेगा।
देश और समाज भी समानता, सहिष्णुता के क्षितिज छूएगा। और यही नहीं, देश व समाज में सुख, समृद्धि, संपन्नता का आगमन होगा।
लग सकेगी रोक वर्तमान में अपने पैर पसारे तमाम विद्रूपताओं, क्षुद्रताओं से जन्मीं बुराइयों और अक्षमताओं पर।
और साथ ही स्व और पर को जीवन के उतार चढ़ावों के बीच रखा जा सकेगा अस्तित्वमान। उनमें नित्य नूतन ऊर्जा पोषित कर उत्साह, आह्लाद, जिजीविषा जैसे भावों के दरिया का कराया जा सकेगा आगमन। जीवन से रचाया जा सकेगा संवाद तमाम वाद विवाद मिटाकर।
देश भर में व्यापी परंपरावादी सामाजिक व्यवस्था को समसामयिकता, आधुनिकता और समग्रता से जा सकेगा जोड़ा।
आओ आज हम यह शपथ लें कि सर्वस्व का वर्चस्व स्थापित करने हेतु हम निर्मित करेंगे जन जन को जोड़ने में सक्षम आस्था, विश्वास, सद्भावना, सांत्वना, प्राच्यविद्या और आधुनिक शिक्षा से प्रेरित अविस्मरणीय, अद्भुत, अनोखा, सेतु। .......और इस सेतु पर से दो विपरीत विचार धाराएं भी बेरोक टोक आ जा सकें।
उन्हें सांझे मंच पर लाकर पारस्परिक समन्वय व सामंजस्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान यह नवनिर्मित सेतु कर पाएगा। ऐसे भरोसे के साथ सभी को आगे बढ़ना होगा तभी देश दुनिया को आदर्श बनाया जा सकेगा। अपनी संततियों को इस नव निर्मित सेतु से विकास पथ की ओर ले जाया जा सकेगा। सर्वस्व के वर्चस्व हेतु इस सेतु को निर्मित करना ज़रूरी है, ताकि नई और पुरानी पीढ़ियों में जागरूकता फैलाई जा सके। २५/११/२०२५.