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Nov 22
"चट चट चटखारे ले,
न! न!!     नज़ारे ले।
जिन्दगी चाट सरीखी चटपटी,
मत कर हड़बड़ी गड़बड़ी।
बस जीना इसे,प्यारे ,
सीख ले।"
यह सब योगी मन ने
भोगी मन से कहा।
इससे पहले कि मन में
कोहराम मचे,
योगी मन
समाधि और ध्यान अवस्था
में चला गया ।
भोगी मन हक्का बक्का ,
भौंचक्का रह गया।
जाने अनजाने
जिंदगी में
एक कड़वा मज़ाक सह गया।
  ०२/०१/२००९.
Written by
Joginder Singh
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   Vanita vats
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