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Nov 22
" काटने दौड़ा घर
अचानक मेरे पीछे,
जब जिन्दगी बितानी पड़ी,
तुम्हारी अम्मा के हरि चरणों में
जा विराजने के बाद,उस भाग्यवान के बगैर।"


"यह सब अक्सर
बाबू जी दोहराया करते थे,
हमें देर तक समझाया करते थे,
वे रह रह कर के कहते थे,
"मिल जुल कर रहा करो।
छोटी छोटी बातों पर
कुत्ते बिल्ली सा न लड़ा करो ।"


एक दिन अचानक
बाबूजी भी अम्मा की राह चले गए।
अनजाने ही एकदम हमें बड़ा कर गए।
पर अफ़सोस...
हम आपस में लड़ते रहे,
घर के अंदर भी गुंडागर्दी करते रहे।
परस्पर एक दूसरे के अंदर
वहशत और हुड़दंग भरते रहे।


आप ही बताइए।
हम सभी कभी बड़े होंगे भी कि नहीं?
या बस जीवन भर मूर्ख बने रहेंगे!
बंदर बाँट के कारण लड़ते रहेंगे।
जीवन भर दुःख देते और दुखी करते रहेंगे।
ताउम्र दुःख, पीड़ा, तकलीफ़ सहेंगे!!
मगर समझौता नहीं करेंगे!
अहंकारी बने रहेंगे।

बस आप हमें समझाते रहें जी।
हमें अम्मा बापू की याद आती रहे।
हम उनके बगैर अधूरे हैं जी।
२०/०३/२००९.
Written by
Joginder Singh
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   Vanita vats
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