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Nov 2024
तुम्हें मुझ से
काम है,
पर
पास नहीं दाम है।


इससे पहले कि
क्रोध का ज्वर चढ़े,
मेरे भाई, तू भाग ले ।
दुम दबाकर भाग ले ।
कुत्ते कहीं के।


अचानक
जिंदगी में
यह सब सुना
तो पता नहीं क्यों?
मैं चुप रहा।
मुझे डर घेर रहा।


सोचा
कब उससे
लड़ने का साहस जुटाऊंगा ?
कभी अपने पैरों पर
खड़ा हो पाऊंगा भी कि नहीं  ?
या फिर
पहले पहल
व्यवस्था को कोसता
देखा जाऊंगा
और फिर
व्यवस्था के भीतर
घुसपैठ कर
दुम हिलाऊंगा ।


सच ! मैं अनिश्चय में हूं।
अर्से से  किंकर्तव्यविमूढ़!
कहीं गहरे तक जड़!!
२३/०१/२००९.
Written by
Joginder Singh
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