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Nov 2024
जिसे लावारिस समझा उम्र भर
वही मिला मुझे
सच्चा वारिस बनकर
आजकल
वह
मेरे भीतर जीवन के लिए
उत्साह जगाता है,
वह
क़दम क़दम पर
मेरे साथ निरंतर चलकर
मुझे आगे बढ़ा रहा है।
अब वह मेरी नज़र में
एक विजेता बनकर उभरा है,
जिसने संकट में
मेरे भीतर सुरक्षा का अहसास
जगाया है।
मैं पूर्वाग्रह के वशीभूत होकर
उसे व्यर्थ ही
दुत्कारता रहा।
नाहक
उसे शर्मिंदा करने को आतुर रहा।
जीवन में
शातिर बना रहा।
  ०४/०८/२००९.
Written by
Joginder Singh
47
 
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