जिसे लावारिस समझा उम्र भर वही मिला मुझे सच्चा वारिस बनकर आजकल वह मेरे भीतर जीवन के लिए उत्साह जगाता है, वह क़दम क़दम पर मेरे साथ निरंतर चलकर मुझे आगे बढ़ा रहा है। अब वह मेरी नज़र में एक विजेता बनकर उभरा है, जिसने संकट में मेरे भीतर सुरक्षा का अहसास जगाया है। मैं पूर्वाग्रह के वशीभूत होकर उसे व्यर्थ ही दुत्कारता रहा। नाहक उसे शर्मिंदा करने को आतुर रहा। जीवन में शातिर बना रहा। ०४/०८/२००९.