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Nov 2024
अर्से के बाद
मिला एक दोस्त
पूछ बैठा मेरा हाल-चाल!


इससे पहले कि
कोई माकूल जवाब देता,
दोस्त कह बैठा,
लगता है,
सेहत तुम्हारी का
है बुरा हाल।

मैंने उम्र के सिर
चुपके से ठीकरा फोड़ा !
पर , भीतर पैदा हो गया एक कीड़ा !
जो भीतर ही भीतर
खाए जा रहा है।


अब मैं बोलता हूं थोड़ा ,
ज्यादा बोला तो बरसाऊंगा कोड़ा ,
अपने पर और अपनों पर ,
मन में रहते सपनों पर ,
कोई सच बोल कर
कतर  देता है पर ,इस कदर ,
भटकता फिरता हूं  होकर दर-बदर ।

अब तो मुझे
दोस्तों तक से
लगने लगा है डर ,
कहना चाहता हूं
ज़माने भर की हवाओं से
दे दो सबको यह पैग़ाम ,यह ख़बर।
मिलने जरूर आएं,
पर भूल कर भी
कह न दें कोई कड़वा सच
कि लगे काट दिए हैं किसी ने पर ,
अब प्रवास भरनी हो जाएगी मुश्किल।

वे खुशी से आएं,
जीवन में हौसला और
हिम्मत भरकर जाएं।
दिल में कुछ करने की
उमंग तरंग जगाएं ।
Written by
Joginder Singh
43
 
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