सार सार को ग्रहण करने वाला ! सब से सच , सच कहने वाला ! होता नहीं कतई मूर्ख कभी भी ! झूठे का साथ निभाने वाला ! छल कपट , मक्कारी करने वाला ! पहुंचाता पल पल निरीहों को दुःख ! बना देता है ज़िंदगी को नरक ! तुम ही बतलाओ आज , बंधुवर ! एक झूठ को हवा देता है और दूसरा सच को बचाकर रखता है । तुम अब किसका समर्थन करोगे ? क्या फिर से भेड़ चाल चलोगे ? क्या इंसानियत को शर्मसार करोगे ? क्या तुम प्रश्नचिह्न लगा पाओगे ? तुम जीवन के इस चक्रव्यूह से बच जाओगे? ०४/०८/२००९.