अब अक्सर भीतर का चोर रह रहकर चोरी को उकसाता है, शॉर्टकट की राह से सफलता के स्वप्न दिखाता है पर... विगत का अनुभव रोशन होकर ईमानदार बनाता है। वह चोरी चोरी चुपके चुपके हेरा फेरी के नुकसान गिनाता है! अनुशासित जीवन से जोड़ पता है!!
भीतर का चोर अपना सा मुंह लेकर रह जाता है। बावजूद इसके वह शोर मचाता है , देर तक चीखता चिल्लाता है। अंतर् का चोर भीतर की शांति भंग करना चाहता है। जब उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, तब वह थक हार कर सो जाता है। अच्छा है वह सोया रहे, भीतर का चिराग जलता रहे , जीवन अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता रहे! बाहर भीतर चिंतन व्यापा रहे! मन के भीतर सदैव शांति बनी रहे! अंतर्मन में शुचिता बनी रहे!! अंतर्मन का चोर सदैव असफल रहे।