तुम मुझ से स्व शिक्षितों की सामर्थ्य के विषय में अक्सर पूछते हो। उन जैसा सामर्थ्य प्राप्त कर लेना कोई आसान नहीं। इस की खातिर अथक प्रयास करने पड़ते हैं, तब कहीं जाकर मेहनत अंततः मेहनत फलीभूत होती है।
पर यही सवाल तुम मुझ से अनपढ़ों की बाबत करते, तो तुम्हे यह जवाब मिलता।
काश!अब आगे बढ़ती दुनिया में कोई भी न रहे अशिक्षित । कोई भी न कहलाए अब कतई अंगूठा छाप। अनपढ़ता कलंक है सभ्य समाज के माथे पर। यह इंसानों को पर कटे परिंदे जैसी बना देती है, उनकी परवाज़ पर रोक लगा देती है।
जन जन के सदप्रयासों से अनपढ़ता का उन्मूलन किया जाना चाहिए। शिक्षा,प्रौढ़ शिक्षा का अधिकार सब तक पहुंचना चाहिए।
आप जैसा जागरुक अनपढ़ों तक , 'शिक्षा बेशकीमती गहना है, इसे सभी ने पहनना है ।,'का पैगाम पहुँचा दे,तो एक क्रांति हो सकती है। देश,समाज,परिवार का कायाकल्प हो सकता है। अतः आज जरूरत है अनपढ़ों को शिक्षा का महत्त्व बताने की, उन्हें जीवन की राह दिखाने की उनकी जीवन पुस्तक पढ़ पाने की। यदि ऐसा हुआ तो कोई नहीं करेगा खता। उन्हें सहजता से सुलभ हो जाएगा, मुक्ति का पता। जिसे शोषितों, वंचितों से छुपाया गया, उन्हें अज्ञानी रखकर बंधक बनाया गया।