स्वप्न जगाती दुनिया में बंद दुस्वप्न पता नहीं कब ओढ़ेंगे कफन ?
मुझे भली भांति है विदित दुस्वप्नों के भीतर छिपे रहते हैं हमारे अच्छे बुरे रहस्य। इन सपनों के माध्यम से हम अपना विश्लेषण करते हैं, क्योंकि सपने हमारे आंतरिक सच का दर्पण होते हैं।
मुझे चहुं और मृतकों के फिर से जिंदा होने उनकी श्वासोच्छवास का हो रहा है मतवातर अहसास। मेरे मृत्यु को प्राप्त हो चुके मित्र संबंधी वापस लौट आए हैं और वे मेरे इर्द-गिर्द जमघट लगाए हैं। वे मेरे भीतर चुपचाप ,धीरे-धीरे डर भर रहे हैं। मैं डर रहा हूं और वह मेरे ऊपर हंस रहे हैं।
अचानक मेरी जाग खुल जाती है, धीरे-धीरे अपनी आंखें खोल,देखता हूं आसपास । अब मैं खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा हूं। अपने तमाम डर किसी ताबूत में चुपचाप भर रहा हूं।
हां ,यकीनन मुझे अपने तमाम डर करने होंगे कहीं गहरे दफन ताकि कर सकूं मैं निर्मित रंग-बिरंगे , सम्मोहन से भरपूर वर वसन, वस्त्र और उन्हें दुस्वप्नों पर ओढ़ा सकूं।
इन दुस्वप्नों को बार बार देखने के बावजूद मन में चाहत भरी है इन्हें देखते रहने की, बार-बार डरते, सहमते रहने की।
चाहता हूं कि स्वप्न जगती इस अद्भुत दुनिया में सतत नित्य नूतन सपनों का सतत आगमन देख सकूं और समय के समंदर की लहरों पर आशाओं के दीप तैरा सकूं।
मैं जानता हूं यह भली भांति ! दुस्वप्न फैलाते हैं मन के भीतर अशांति और भ्रम। फिर भी इस दुनिया में भ्रमण करने का हूं चाहवान। दुस्वप्न सदैव, रहस्यमई,डर भरपूर दुनिया की प्रतीति कराते हैं। चाहे इन पर कितना ही छिड़क दो संभावनाओं का सुगंधित इत्र।! ये जीवन की विचित्रताओं का अहसास बनकर लुभाते हैं।
काश! मैं होऊं इतना सक्षम! मैं इन दुस्वप्नों से लड़ सकूं। उनसे लड़ते हुए आगे बढ़ सकूं।