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Nov 2024
कोई भी रही हो
वजह
रिश्ते बनने ,बिगड़ने की
उसकी
बेवजह ना करो पड़ताल ।


चुपचाप
अपने करते रहो काम,
बेवजह
दर्द अपनों के में
करते ना रहो इज़ाफ़ा ।


कोई भी रही हो
वजह
शत्रुता बढ़ाने की
या फिर
मित्रता निभाने की
बेवजह
उसे तूल ना देकर ,
तिल का ताड़ ना बनाकर ,
सच को करो स्वीकार ।
समझ लो,
बाकी है सब बेकार ।


कायम रखो मिज़ाज अपने को ,
ताकि बढ़ता रहे मतवातर
जिंदगी का जहाज,
समय के समन्दर में ,
उसे लंगर की
रहे ना जरूरत।

०२/०१/२००९.
Written by
Joginder Singh
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