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Nov 2024
यह सच है
क्रांति की प्रतीक्षा में,
पूरा जीवन
रीत जाता है,
पर क्रांति नहीं होती।
आंतरिक जुड़ाव
खुशी से जुड़ा
जीवन का शाश्वत सच है ।
क्रांति की प्रतीक्षा में
आदमी कभी कभार
ओढ़ लेता है
खामोशी और अनाभिव्यक्ति का
सुरक्षा कवच।
जीवन में
नहीं दिखना चाहता वह
हताश ,निराश ,बीमार।
पर वह
अपने अंतर्विरोधों से
कभी  बच नहीं पाता है
क्योंकि हर आदमी के पास
सदैव होता है
अपना एक सच ,
जो बनता है एक सुरक्षा कवच
और
संकट के समय
जिसे ओढ़कर
आदमी जीवन संघर्ष करता है,
और क्रांति से पहले की
आपातकालीन परिस्थितियों में
सुरक्षित रह पाता है।
क्रांति का जीवन सत्य से जुड़ता
एक अनुपम ,अद्भुत नाता है।
क्रांति की प्रतीक्षा करना सबको भाता है।
Written by
Joginder Singh
56
 
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