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Joginder Singh
Poems
Nov 19
काश!
काश!
यह जगत
होता एक तपोवन
न कि जंगल भर,
जहां संवेदनाएं रहीं मर,
नहीं बची अब जीने की ललक।
तपोवन में
बनी रहनी चाहिए शांति।
मित्र,
जीवन में
कोई कार्य ऐसा न करें,
जिससे उत्पन्न हो भ्रांति
जो हर ले
सुध बुध और अंतर्मन की शांति ।
२६/०२/२०१७.
Written by
Joginder Singh
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