Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2024
बेबी डॉल
डाल डाल पर
जीवन से
लाड लड़ाती हुई
आँखें झपका रही है।
जीवन में
सुन्दरता, मनमोहकता के
रंग बिखेर रही है।
बेबी डॉल
आकर्षण का जादू
नस नस में
जगा रही है।
वह अपने ही सम्मोहन से
मंत्र मुग्ध हुई
जीवन से संवाद
रचा रही है।

आजकल
वह खोई खोई रहती है!
दिन रात विरह के गीत गाती है!!
दिनों दिन
अकेलेपन में
खोती जाती है।


हमें
एक बेबी डॉल की तलाश है
जिस में बसती जीवन की श्वास हो!
उसके पास ही कहीं
खिला पलाश हो!!
जिसके इर्द गिर्द
मंडराता मधुमास हो!!!
२८/०२/२०१
Written by
Joginder Singh
34
 
Please log in to view and add comments on poems