बेबी डॉल डाल डाल पर जीवन से लाड लड़ाती हुई आँखें झपका रही है। जीवन में सुन्दरता, मनमोहकता के रंग बिखेर रही है। बेबी डॉल आकर्षण का जादू नस नस में जगा रही है। वह अपने ही सम्मोहन से मंत्र मुग्ध हुई जीवन से संवाद रचा रही है।
आजकल वह खोई खोई रहती है! दिन रात विरह के गीत गाती है!! दिनों दिन अकेलेपन में खोती जाती है।
हमें एक बेबी डॉल की तलाश है जिस में बसती जीवन की श्वास हो! उसके पास ही कहीं खिला पलाश हो!! जिसके इर्द गिर्द मंडराता मधुमास हो!!! २८/०२/२०१