आज बिटिया ने अपना सारा स्नेह भोजन परोसते समय प्यार भरी मनुहार के साथ ढेर सी सब्जी थाली में डाल कर किया। मेरे मुख से बरबस ही समस्त स्नेह भाव एक अद्भुत वाक्य बन प्रस्फुटित हुआ, " अब सारा प्यार मेरी थाली में उड़ेल दोगी क्या!" पास ही उसके पापा बैठे थे, विनोद, जिन्हें मैं कभी-कभी मनोविनोद के नाम से संबोधित करता हूं! यह पल मुझे प्यार का सार बता गया। इसके साथ ही संसार का सार भी समझा गया। सच! इस पल को जीकर मैं भाव विभोर हुआ ।