अचानक उसने सोचा था कि उसने बड़े प्रयासों के बाद भीतर व्यापे भय को बड़ी मुश्किल से भगाया था।
पर एक भूल से वो लौट आया था!
फिर उसने बड़ी देर तक उसे दर बदर कर भटकाया था!!
भयभीत भय पर कैसे पाएं काबू? यह सभी को जीवन सिखाना चाहता है, पर कोई विरला ही, भय के झूले में झूल झूल कर सोया आत्मविश्वास जगा पाता है। खोया आत्मविश्वास ढूंढ़ पाता है।
यही हे जीवन की सीख । यह जीने से मिलती है, भीख मांगने से नहीं। जीवन चाहता है हर कोई स्वयं को सही करे। अपने अंतर्मन को शुद्ध करे।