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Nov 2024
हैं! मास्टर कुंदन जी चले गए।
अभी कल ही तो मिले थे,
उन्होंने चलते चलते हाथ हिलाया था,
मैं मोटरसाइकिल पर
अपने मित्र के साथ घर जा रहा था,
और मुझे थोड़ी जल्दी थी,
सो मैने भी
प्रतिक्रिया वश अपने हाथ को टाटा के अंदाज में
हिलाया था,
वे चिर परिचित अंदाज में मुस्कराए थे,
मैं भी अपने गंतव्य की ओर बढ़ गया था।

आज
ख़बर मिली,मास्टर जी
अपनी मंजिल की ओर चले गए,
दिल के दौरे से
उनका देहांत हुआ।

एक विचार पुंज शांत हुआ।
पर मेरा मन अशांत हुआ,
अब कर रहा मैं,
उन के लिए
परम से
अपने चरणों में लेने के लिए
अनुरोध भरी याचना ,
और दुआ भी
क्यों कि
वे सच्चे और अच्छे थे,
करते थे यथा शक्ति मदद ,
सही  में थे मेहरबान !
दुर्दिनों और संकट में
सहायता के साथ साथ
नेक और व्याहारिक सलाह भी दी थी।।

सोचता हूँ
उनकी बाबत तो यही  अंतर्ध्वनि
मन के भीतर से आती है
कि
मास्टर कुंदन लाल सचमुच गुदड़ी के लाल थे,
एक नेक और सच्चे इंसान थे,
सहकर्मियों और विद्यार्थियों की
हरपल मदद के लिए रहते थे तैयार।
और हां,वे मेरी तरह
बाइसाइकिल पर घूमने,
संवेदना को ढूंढने के शौकीन थे।
वे रंगीन दुनिया को
एक साधु की नजर से देखते थे, सचमुच वे प्रखर थे।
...और अखबार पढ़ने,तर्क सम्मत अपने विचार व्यक्त करने में
निष्णात।
इलाके में सादगी,मिलनसारिता के लिए विख्यात।
उन जैसा बनना बहुत कठिन है जी।
मस्त मौला मास्टर की तरह
ईमानदार और समझदार ,
अपने नाम कुंदन लाल के अनुरूप
वे सचमुच कुंदन थे ,
जो ऊर्जा,जिजीविषा,सद्भावना से भरपूर।
आज वे  हम सब से चले गए बहुत दूर,
ईश्वर का साक्षात्कार करने के लिए,
परम सत्ता से ढेर सारी बातें करने, और
दुनिया जहां की खबरें परमात्मा तक पहुंचाने के लिए।
वे सारी उमर सादा जीवन,उच्च  विचार, के आदर्श को
आत्मसात करते हुए अपना जीवन जी कर गए।
सब को अकेला छोड़ गए
Written by
Joginder Singh
59
   Aniruddha and Vanita vats
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