आज देश नियंता पर लगा रहा है कोई आरोप तानाशाह होने का ।
उसे नहीं है पता , देश दुनिया संक्रमण काल से गुजर रही । बदमाश सदाशयता पर हावी होना चाहते हैं , उसे घर की दासी समझते हैं । देश की बागडोर संभालना, नहीं कोई है सरल काम, इसकी राह में मुश्किलें आती हैं तमाम , अगर उनसे ना सुलझा जाए, तो अपूर्ण रह जाते सारे काम। मुझे कभी-कभी अपना पिता भी एक तानाशाह जैसा लगता है । पर नहीं है वह एक तानाशाह , इस सच को हर कोई जानता है ! जानबूझकर अपनी अकड़ दिखाता है !! जनता में सत्ताधारी की गलत छवि बनाता है। संविधान खतरे में है ,जैसी बातें कहकर जनता जनार्दन को मूर्ख बनाता है । क्या ऐसा करना विपक्षी नेता को सत्ता का सिंहासन दिला पाता है ? बल्कि ऐसा करने वाला देश को गर्त में पहुंचाता है। वह आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांके । तत्पश्चात सत्ता के नेतृत्व कर्ता को तानाशाह कहे , अपनी तानाशाही पर नियंत्रण करे।
आज असली तानाशाह आरोप लगाने वाले हैं। क्या ऐसा कर के वे सत्ता के नटवरलाल बनना चाहते हैं ? मुझे बताओ। आज मुझे बताओ। असली तानाशाह कौन? सत्ता पर काबिज व्यक्ति या फिर आरोप लगाने वाला, एक झूठा नारेटिव सेट करने वाला ? मुझे बताओ। मुझे बताओ ।मुझे बताओ। असली तानाशाह कौन ? यदि इसका उत्तर पास है आपके, शीघ्रता से मुझे बताओ। अन्यथा गूंगे बहरे हो जाओ। अब और नहीं जीवन को उलझाओ।