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Joginder Singh
Poems
Nov 2024
पता नहीं कब
जनाब! बुरा मत मानिएगा।
मारने की ग़र्ज से छतरी नहीं तानिएगा।
बुरा मानने का दौर चला गया ।
पता नहीं ,यह शोर कब थमेगा?
बुरा! बुरा !! बुरा !!!
आजकल हो गया है ।
हमारी सभ्यता का धुरा।
बुरा देखते-देखते
चुप रह जाने की आदत ने
हमें जीती जागती बुराई को
अनदेखा करना सिखा दिया है!
हमें बुराई का पुतला बना दिया है!!
पता नहीं कब राम आएंगे ?
अपने संगी साथियों के संग
बुराई का दहन करने का बीड़ा उठाएंगे।
भारत को राम राज्य के समान बनाएंगे ।
Written by
Joginder Singh
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