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20h
एक पत्ता
पेड़ से गिरा ही था कि
मुझे हुआ अहसास,
कोई अपना पता भूल गया है,
उसे तो सृजनहार से मिलने जाना था।
जाने अनजाने ही!
शायद गिरने के बहाने से ही!!

सोचता हूं...
वो कैसे
उस सृजनहार को
अपना मुख दिखला पाएगा।
कहीं वह भी तो नहीं
डाल से गिरे पत्ते जैसा हो जाएगा।
कभी मूल तक न पहुंच पाएगा।
१४/०५/२०२०.
Written by
Joginder Singh
20
 
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