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Nov 2024
आजतक
स्वयं से
की है प्रीत।
फलत:अब
हूँ भीतर तक
भयभीत।
चाहता हूँ,
करना
औरों से भी
निस्वार्थ प्रीत!
ताकि जीवन में
रह सकूँ सहज।
नित्य सीख सकूँ
कुछ नवीन,
बन सकूँ
प्रवीण
और स्वयं को
लूँ जीत।
रचूँ जीवन में
एक नई रीत।
न रहूँ कभी
भयभीत।
२/६/२०२०.
Written by
Joginder Singh
31
 
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