आज देश में संविधान बचाने के मुद्दे पर नेता प्रति पक्ष और सत्ताधीन नेतृत्व के बीच एक होड़ा होड़ी लगी हुई है। दोनों , संविधान खतरे में है, कहते हैं, असंख्य लोग अन्याय, शोषण के दंश को सहते हैं। नेता प्रति पक्ष का कहना है, सत्ता पक्ष ने संविधान पढ़ा नहीं, सो वो संविधान को खोखला बता रहे। ' अगर संविधान पढ़ा होता, तो उन्होंने अलग नीतियां अपनाईं होतीं।' सत्ता पक्ष ने भी नेता प्रति पक्ष के ऊपर आरोप लगाया कि विपक्ष देश के एक संवेदनशील राज्य में एक अलग संविधान बनाने की योजना पर अड़ा हुआ है। आप ही बताइए एक देश,एक संविधान, होना चाहिए कि नहीं। आप ही फ़ैसला कीजिए, कौन है सही। देश में संविधान को लेकर बहस छेड़ने का मुद्दा गर्म है। हर कोई बना देश में बेशर्म है। सब के अपने अपने पाले हैं। क्या नेतागण नागरिकों को मूर्ख बना रहे हैं? आज देश में संविधान सर्वोपरि रहना चाहिए। यह देश की अस्मिता का वाहक होना चाहिए। संविधान को लेकर पड़ोसी देश में भी विवाद चल रहा है। यहां वहां,सब जगह संविधान को विवादित किया जा रहा है। संविधान से धर्मनिरपेक्ष, समाजवाद, जैसे अप्रासंगिक हो चुके मुद्दों को एक परिवर्तनकारी आंदोलन का आधार बनाया जा रहा है। बहुत से देश उलझे हैं, उनके सुलझाव के लिए संविधान जरूरी है कि नहीं? यह देश की तकदीर,दशा, दिशा निर्मित करता है। इस सच को देश दुनिया के समस्त नेताओं को समझना चाहिए, अपने दुराग्रह, पूर्वाग्रह छोड़ने चाहिएं। विकास के मौके देश दुनिया में बढ़ने चाहिएं । १५/११/२०२४.