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3d
वो आदमी
नख से शिख तक
रंगीन है।

हर पल
मौज और मस्ती,
नाच और गाने,
हास परिहास,
रास रंग की
सोचता है !

वह
पल प्रति पल
परंपरावादी मानसिकता के
आदमी की संवेदना को
नोचता है!!

उस आदमी का
जुर्म संगीन है।
दोष उसका यही,
वो रंगीन है।

उसे सुधारो,
वरना
लोग देखा देखी
उसके रंग में रंगे जायेंगे!
रंगीन मिज़ाज होते जायेंगे!!
   १७/०७/२०२२
Written by
Joginder Singh
37
 
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