प्यार, विश्वास रही है हमारी दौलत जिसकी बदौलत कर रहे हैं सब अलग अलग, रंग ढंग ओढ़े विश्व रचयिता की पूजा अर्चना, इबादत और वन्दना।
प्यार को हवस, विश्वास को विश्वासघात समझे जाने का खतरा अपने कंधों पर उठाये चल रहे हैं लोग तुम्हारे घर की ओर! तुम्हारे दिल की ओर!!
तू पगले! उन्हें क्यों रोकता है? अच्छा है, तुम भी उनमें शामिल हो जा । अपने उसूलों , सिद्धांतों की बोझिल गठरी घर में छोड़ कर आ । प्यार, विश्वास रही है हमारी दौलत जिसकी बदौलत कर रहे हैं सब मौज । तुम भी इसकी करो खोज। न मढ़ो, अपनी नाकामी का किसी पर दोष। प्यारे समझ लें,तू बस! जीवन का सच कि अब सलीके से जीना ही सच्ची इबादत है। इससे उल्ट चलना ही खाना खराबी है, अच्छी भली ज़िन्दगी की बर्बादी है। ९/६/२०१६.