शुक्र है ... संवेदना अभी तक बची है, मौका परस्ती और नूराकुश्ती ने, अभी नष्ट नहीं होने दिया देश और इंसान के मान सम्मान को। सो शुक्रिया सभी का, विशेषकर नज़रिया बदलने वालों का। देश,दुनिया में बदलाव लाने वालों का।।
शुक्रिया कुदरत तुम्हारा, जिसने याद तक को भी प्यासे की प्यास, प्यारे के प्यार की शिद्दत से भी बेहतर बनाया। जिससे इंसान जीव जीव का मर्म ग्रहण कर पाया।
शुक्रिया प्रकृति(स्वभाव)तुम्हारा जिसने इंसानी फितरत के भीतर उतार, उतार,चढ़ाव भरी जीवन सरिता के पार पहुँचाया। तुम्हारी देन से ही मैं निज अस्मिता को जान पाया।
शुक्रिया प्रभु तुम्हारा जिन्होंने प्रभुता की अलख समस्त जीवों के भीतर, जगाकर उनमें पवित्र भाव उत्पन्न कर,जीवन दिशा दिखाई । तुम्हारे सम्मोहक जादू ने अभावों की, की भरपाई ।
शुक्रिया इंसान तुम्हारा जिसने भटकन के बावजूद अपनी उपस्थिति सकारात्मक सोच से जोड़ दर्शाई। तुम्हारे ज्ञान, विज्ञान, जिज्ञासा, जिजीविषा ने नित नूतन राह दिखाई।
शुक्रिया! शुक्रिया!! शुक्रिया!!! शुक्रिया कहने की आदत अपनाने वाले का भी शुक्रिया! जिसने हर किसी को पल प्रति पल आनंदित किया, सभी में उल्लास भरा । हर चाहत को राहत से हरा भरा किया।