जीवन की ऊहापोह और आपाधापी के बीच किसी निर्णय पर पहुँचना है यकीनन महत्वपूर्ण। ....और उसे जिन्दगी में उतारना बनाता है हमें किसी हद तक पूर्ण।
कभी कभी भावावेश में, भावों के आवेग में बहकर अपने ही निर्णय पर अमल न करना, उसे सतत नजरअंदाज करना, उसे कथनी करनी की कसौटी पर न कसना, स्वप्नों को कर देता है चकनाचूर । समय भी ऐसे में लगने लगता, क्रूर।
कहो, इस बाबत तुम्हें क्या कहना है? यही निर्णय क्षमता का होना मानव का अनमोल गहना है। यह जीवन को श्रेष्ठ बनाना है। जीवन में गहरे उतर जाना है । जीवन रण में स्वयं को सफल बनाना है। ८/६/२०१६.