मैं तुम्हारे मन के भावों को चुराकर, तुम्हारे कहने से पहले, तुम्हारे सम्मुख व्यक्त करना चाहता हूँ। ..... ताकि तुम्हारी मुखाकृति पर होने वाले प्रतिक्षण भाव परिवर्तन को पढ़ सकूँ , तुम्हें हतप्रभ कर सकूँ ।
तुम्हारे भीतर उतर सकूँ । तुम्हारी और अपनी खातिर ही बेदर्द , बेरहम दुनिया से लड़ सकूँ ।