देवों को,देवियों को, छप्पन भोग लगाने का जीवन के मन मंदिर में रहा है चलन। उसका वश चले तो वह फास्ट फूड को भी इसमें कर ले शामिल। वह खुद को नास्तिक कहता है,यही नहीं अराजक भी। वह जन संवेदना को नकार बना बैठा है एहसासों का कातिल। जो दुनिया भर पर कब्जा करना चाहता है। भविष्य का तानाशाह होना चाहता है। वह कोई और नहीं, तुम्हारे ही नहीं, सब में मौजूद घना अज्ञान का अंधेरा है। इससे छुटकारा पा लोगे तो ही होगा ज्ञान का सूरज उदित। मन भी रह पाएगा मुदित। आदमी के लिए छप्पन भोग फास्ट फूड से छुटकारा पा लेना है। देखिए,कैसे नहीं ,उसकी सेहत सुधरती?