तुम लड़ो व्यवस्था के ख़िलाफ़ पूरे आक्रोश के साथ। लड़ने के लिए कोई मनाही नहीं, बशर्ते तुम उसे एक बार तन मन से समझो सही।
यकीनन फिर कभी होगी अनावश्यक तबाही नहीं।
तुम लड़ो अपनी पूरी शक्ति संचित कर।
तुम बढ़ो विजेता बनने के निमित्त। पर, रखो तनाव को, अपने से दूर ताकि हो न कभी घुटने तकने को मजबूर। करो खुद को भीतर से मजबूत।
तुम अपने भीतर व्याप्त अज्ञान के अंधेरे से लड़ो। तुम शोषितों के पक्ष में खड़े रहो। तुम अपने अंतर्मन से करो सहर्ष साक्षात्कार ताकि प्राप्त कर सको अपने मूलभूत अधिकार।
लड़ने, कर्तव्य की खातिर मर मिटने का लक्ष्य लिए तुम लड़ो,बुराई से सतत। तुम बांटो नहीं, जोड़ो।
तुम जन सहयोग से प्रशस्त करो जीवन पथ। तुम्हारे हाथ में है संघर्ष रूपी मशाल। यह सदैव रोशन रहे। तुम्हारी लड़ाई परिवर्तन का आगाज़ करे।
तुम लड़ो, कामरेड! करो खुद को दृढ़ प्रतिज्ञा से स्थिर, संतुलित,संचक, सम्पूर्ण कि...कोई टुच्चा तुम्हें न सके छेड़। कोई आदर्शों को समझे न खेल भर। तुम सिद्ध करो, आन ,बान,शान की खातिर कुर्बानी दे सकने का तुम्हारे भीतर जज़्बा है, संघर्ष का तजुर्बा है।