नन्ही सी गुड़िया सल्लू अपने मामा के हाथ पर हल्के से मार, "हुआ दर्द?" "बिल्कुल नहीं। " सोचा मैंने... पर यदि वह मां,बाप,बड़ों का कहा नहीं मानेगी तो होगा बेइंतहा दर्द!...
मेरी अपनी बिटिया गुड्डू पूछती है पापा से गोदी में चढ़े चढ़े, "भगवान् बच्चों की रक्षा करते हैं न पापा? भगवान् बच्चों की बातों को मानते हैं न पापा!" "बिल्कुल ।" सोचा मैंने... पर यदि वह माँ,बाप, बड़ों की करेगी अवहेलना, तो जिन्दगी में उसे अपमान पड़ेगा झेलना।
छोटू सा काकू मियां प्रणव से पूछते हैं पापा, " कितनी चीज़ी लेगा,तू?" वह कहता है,"दो ।" सोचता हूँ... यदि वह करेगा शरारत कभी। गोविंदा की फिल्म सरीखा होकर घरवाली, बाहरवाली के चक्कर में पड़ तो जिन्दगी उसे कर देगी बेघर, अनायास जिन्दगी देगी थप्पड़ जड़।
नन्हा सा पुनीत उर्फ़ गोलू अपनी माँ की गोदी में लेटा हुआ कर रहा दुग्ध पान।
वह अभी शिशु है बोल सकता नहीं, अपनी बात रख सकता नहीं। शायद सब कुछ जान कह रहा हो चुप रह कर, "अरे मामा!इधर उधर न भटक मेरी तरह अपनी आत्मा को शुद्ध रख ना कि दुनियावी प्रदूषण में हो लिप्त।
समय यह लीला देख समझ मुस्करा कर रह गया। आसपास की जिन्दगी खामोश हँसी का जलवा दिखाकर मचलने लगी। बच्चे मस्त थे और...उनसे बातें करने वाला एकदम अनभिज्ञ।