वो अब इतना अच्छा लिखेगा, कभी सोचा न था। अब लिख ही लिया है उसने अच्छा तो क्यों न उसकी बड़ाई करें! क्यों क्षुद्रता दिखा कर उससे शत्रुता मोल लें ? वो अब इतना अच्छा है कि पूछो मत हम सब उसके पुरुषार्थ से सौ फ़ीसदी सहमत। सुनिए,उसका सुनियोजित तौर तरीका और सच ।
अब उसने अपने वजूद को उनकी झोली में डाल दिया है । आतंक भरे दौर में वे अपने भीतर के डर , उसकी जेब में भर उसे खूब फूला रहें हैं, उसके अहम के गुब्बारे को फोड़ने की हद तक ।
पता नहीं! वो कब फटने वाला है? वैसे उसके भीतर गुस्सा भर दिया गया है। वो अब इतना बढ़िया लिखता है, लगता , सत्ताधीशों पर फब्तियां कसता है। पता नहीं कब, उसे इंसान से चारा बना दिया जाएगा।