Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2024
नित
दिन भर की गरमी और भाग दौड़ से थकी
नन्ही मोतियों सरीखी ओस की बूदों से गुथी
रात की चादर उड़ा
अपनी प्रिया पृथ्वी को कर दुलार
कुछ गीत नए गुनगुना रहा
Written by
Vanita vats
39
   Aniruddha
Please log in to view and add comments on poems