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Nov 5
अनमना सा मन
उनींदी सी महक
समय की तारों पर
गीत गुनगुनाता हुआ
कुछ मुसकराता सा

रात के चादं से चुरा
चांदनी की तारों से
सतरंगी सपनों की
चादर ओढ़ सिमट रहा है।
Written by
Vanita vats
65
   Aniruddha
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