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Feb 2021
बेआबरू सा करके, रूआंसा सा बन के निकल लिए एकदम ।
बेजान सी पड़ी हूं, सारे सपने हो गए सारे गुम ।।
बालों की खुशबू, सांसो की सुंगध, मीठा सा वहम ।
सब साथ लेकर, ना जाने कहां चले गए तुम ।।
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हद है .....
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कभी हम साथ गुजरा करते थे उन कातिल राहों से ।
गांव के चौराहे से, नदी के किनारों से ।।
आज वो राहे रहीं ना तुम ।
बेअदब सा करके, ना जाने कहां चले गए तुम ।।
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हद है ....
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वादा था जो जन्मो तक, साथ निभाने का ।
हर वक्त, हर पल यादों में आने का ।।
क्यू ना आज फिर मैं भी तोड़ दू वो कसम ।
झूठे से ख्वाब देकर, ना जाने कहां चले गए तुम ।।
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हद है....
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तुम्हारे दिए हुए कंगन के साथ तोड़ डाले मैंने सारे भ्रम ।
कब की आस लिए बैठी थी, आने की तुम्हारे बलम ।।
कहते थे जो तुम, तेरे बिना निकलेगा ना हरगिज ये दम
तनहा कर, अकेला छोड़, इस दुनिया से ही चले गए सनम ।
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हद है, ऐसे भी कोई जाता है क्या 😭

Written by:- Vikash Yadav
Written by
Vikash Yadav
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