बेआबरू सा करके, रूआंसा सा बन के निकल लिए एकदम । बेजान सी पड़ी हूं, सारे सपने हो गए सारे गुम ।। बालों की खुशबू, सांसो की सुंगध, मीठा सा वहम । सब साथ लेकर, ना जाने कहां चले गए तुम ।। .. हद है ..... .. कभी हम साथ गुजरा करते थे उन कातिल राहों से । गांव के चौराहे से, नदी के किनारों से ।। आज वो राहे रहीं ना तुम । बेअदब सा करके, ना जाने कहां चले गए तुम ।। .. हद है .... .. वादा था जो जन्मो तक, साथ निभाने का । हर वक्त, हर पल यादों में आने का ।। क्यू ना आज फिर मैं भी तोड़ दू वो कसम । झूठे से ख्वाब देकर, ना जाने कहां चले गए तुम ।। .. हद है.... .. तुम्हारे दिए हुए कंगन के साथ तोड़ डाले मैंने सारे भ्रम । कब की आस लिए बैठी थी, आने की तुम्हारे बलम ।। कहते थे जो तुम, तेरे बिना निकलेगा ना हरगिज ये दम तनहा कर, अकेला छोड़, इस दुनिया से ही चले गए सनम । .. हद है, ऐसे भी कोई जाता है क्या 😭