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Shabistan Firdaus
Poems
Feb 2021
अरब अमीरात
खिल उठे गुल रेगिस्तान में
बिखर गए सबज़ रंग गली मैदान में
ऊंट, खजूर और तेल की खदान
होगी क़भी यह इसकी पहचान
आज लिखी है दुनिया में इसने
तरक़्क़ी की अजब दास्तान
कितने मुल्कों के यहाँ बसे बाशिंदे
क़िस्मों के रंग रूप मज़हब और ज़ुबान
सजाए इसने ताज ए अमीरात में
चमके जो जगमग बन के हीरे
बना तफ़री और तिजारत का मरकज़
लगा रहता है सैलानियों का जमघट
साइयन्स, तकनीक , कला और तालीम
फलक से भी आगे होगी इसकी खोजबीन
समंदर में बसायी आलीशान बस्ती
आसमाँ को चूमती बुर्ज ख़लीफ़ा की हस्ती
कायदे - क़ानून , फ़रायज और हकूक़
सब के हैं बराबर , ना होती है चूक
पाबंदी,मुसतैदी,दूरंदेशी और ईमानदारी
क्या ख़ूब निभाती है हुक़ूमत ज़िम्मेदारी
रात दिन सड़कों पर रहती है रौनक़
है फ़िज़ा में तहुफ़्फ़ुज़ और राहत
मशरिक़ और मगरिब घुले मिले हैं
मुस्कानों के दिए जले हुए हैं
ईद , क्रिसमस , दिवाली और ओनम
गूंजती है सब त्योहारों की सरगम
दुनिया के नक़्शे में रौशन जिसका नाम
उस अरब अमीरात को हमारा सलाम
Written by
Shabistan Firdaus
44/F/Dubai
(44/F/Dubai)
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