रंग दुनिया ने दिखाया है निराला, देखूँ, है अँधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ आइना रख दे मेरे हाथ में,आख़िर मैं भी, कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूँ जिसके आँगन से खुले थे मेरे सारे रस्ते, उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है, यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है, तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है भ्रमर कोई कुमुदनी पे मचल बैठा तो हंगामा , हमारे दिल में कोई ख़्वाब पल बैठा तो हंगामा अभी तक डूब के सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का , मैं किस्से को हक़ीकत में बदल बैठा तो हंगामा - बहुत बिखरा, बहुत टूटा, थपेडे़ सह नही पाया , हवाओं के इशारों पे मगर मैं बह नहीं पाया अधूरा अनसुना ही रह गया यूँ प्यार का किस्सा , कभी तुम सुन नही पाए, कभी मैं कह नही पाया कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है , मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है , ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है