बिखरे ज़ज्बातों के दरमियाँ , कशमकश के दायरों से घिरा हुआ मन मेरा ... चंद अल्फाज़ो से हम उन्हें बयाँ न कर पाए कि बना लिया है हमने एक आशियाना एक हसीन दुनिया जिसमे बोये हैं हजारों ख्वाहिशें इंतज़ार में है हम उस लम्हे का जब देंगे आप दस्तक आहटें तो गूँज रही है आपके आने का कैसे शुरुआत करे हम जाहिर करना अपना हाल शायाद गुफ़्तगू के बहाने ही सही पर इस कायनात में कुछ अजीब दसतूर भी है यहाँ पल पल बेहाल हो चले हम और कहीं चल दिए आप अपने लिखी अफ़सानों की तलाश में |